हनुमान जी को क्या पसंद है ? बजरंगबली के प्रिय पदार्थ।

हनुमान जी के प्रिय पदार्थ क्या हैं ?

श्री राम भक्त हनुमान जी आज के युग मे सर्वाधिक लोकप्रिय और जाग्रत देवता माने जाते हैं। वे कर्मयोगी, बल-बुद्धि के देवता, संकट निवारक और भगवान शिव के अंशावतर, तथा प्रभु श्रीराम के दूत भी हैं।

हमेशा से यह मान्यता रही है की हनुमान जी को पुरुषों से संबन्धित वस्तुएँ हीं पसंद हैं, क्योंकि हनुमान जी बाल ब्रह्मचारी थे अतः यह बात बिल्कुल सही है ।

हनुमान जी की प्रिय वस्तुओं में सिन्दूर, तेल, अकवन के फूल, तुलसी, गदा, रामकथा, चोला, ध्वज  आदि बहुत प्रिय हैं।

हनुमान जी को सिन्दूर क्यों पसंद है ?

हनुमान जी को पूजा के समय सिन्दूर भी चढ़ाया जाता है यही नहीं हनुमान जी के पूरे शरीर पर सिन्दूर का लेप लगाया जाता है। हनुमान जी को सिन्दूर पसंद होने का कारण रामायण मे लिखा गया है ।

यह कथा इस प्रकार है कि एक बार हनुमान जी को भूख लगी थी । वे सीता जी के पास लड्डू मांगने पहुँच गए और माता से लड्डू मांगा । इस पर माता सीता ने कहा- मै स्नान करके तुम्हें लड्डू देती हूँ, माता जानकी के वचन सुनकर हनुमान राम-राम जपते हुए सीता माँ कि प्रतीक्षा करने लगे।

स्नान करने के बाद सीता माता अपनी मांग मे सिन्दूर लगा रहीं थी तभी बड़े भोलेपन से हनुमान जी ने यह प्रश्न किया- “माते, आपने यह लाल द्रव्य क्यूँ लगाया”? इसके लगाने से क्या होता है?

हनुमान जी का प्रश्न सुनकर माता सीता एक क्षण रुक कर बोलीं- ‘पुत्र, यह सिन्दूर है। इसके लगाने से मेरे स्वामी (श्री राम) कि आयु में वृद्धि होती है और प्रभु मुझसे सदैव प्रसन्न होते हैं।‘

चुटकी भर सिन्दूर लगाने से प्रभु श्रीराम जी कि दीर्घायु और प्रसन्नता कि बात सीता जी से सुनकर हनुमान जी मन हीं मन कुछ सोचने लगे। राम भक्त तो वे थे ही, श्री हनुमान जी ने विचार किया कि जब थोड़े से सिन्दूर लगाने से प्रभु को लंबी उम्र प्राप्त होती है तो क्यूँ न मैं अपने सम्पूर्ण शरीर में सिन्दूर पोतकर प्रभु श्रीराम को अजर-अमर कर दूँ। और उन्होने वैसा हीं किया, वे उठे और सिर से लेकर पैर तक अपने सम्पूर्ण तन में सिन्दूर पोतकर वे भगवान श्री राम के पास पहुँच गए ।

उन्हें इस हाल में देख सभी चौंक गए । भगवान राम भी हँसने लगे और हँसते-हँसते हनुमान जी से पूछा- “हनुमान, तुमने अपने पूरे शरीर पर सिन्दूर का लेप क्यूँ चढ़ा लिया” ?

इसपर हनुमान जी ने विनम्रता पूर्वक उत्तर दिया- “प्रभु माताजी के चुटकी भर सिन्दूर लगाने से आप अति प्रसन्न होते हैं, और आपकी आयु में वृद्धि होती है, इसीलिए मैंने पूरे शरीर में सिन्दूर का लेप चढ़ा लिया है।”

हनुमान जी बातें सुनकर भगवान श्रीराम अति प्रसन्न हुए और बोले- “वत्स! तुम्हारे जैसा मेरा कोई अन्य भक्त नहीं है।” तत्पश्चात उन्होने हनुमान जी को अमरत्व का वरदान दिया।

तभी से हनुमान जी को सिन्दूर चढ़ाया जाता है । सिन्दूर का रंग नारंगी होना आवश्यक है।

हनुमान जी के प्रिय भोग-

हनुमान जी को बूंदी और बूंदी के लड्डू अति प्रिय हैं। ऐसी मान्यता है की बजरंगबली को बूंदी के लड्डू चढ़ाने से समस्त ग्रह बाधाओं का नाश होता है। बजरंगबली को बेसन के लड्डू भी पसंद हैं।

हनुमान जी का प्रिय तेल-

हनुमान जी को चमेली का तेल बहुत प्रिय है। बजरंगबली अत्यंत बलशाली तो थे ही, इसीलिए वे अपने शरीर पर हमेशा तेल की मालिश किया करते थे। लेकिन सिंदूर वाले प्रसंग से प्रसन्न होकर प्रभु श्रीराम ने उन्हे आशीर्वाद दिया था की मंगलवार के दिन मेरे हनुमान को जो तेल और सिंदूर चढ़ाएगा उन्हें मेरी प्रसन्नता प्राप्त होगी और उनकी समस्त कामनाओं की पूर्ति होगी। हनुमान जी को चमेली के तेल के साथ सिन्दूर अवश्य चढ़ाएँ।

हनुमान जी का प्रिय फूल-

ऐसा माना जाता है की सभी देवी-देवताओं को कोई-न-कोई विशेष फूल और पत्ते पसंद हैं इसीलिए हनुमान जी ने यह विचार किया की ये जो अकवन (आंकड़े) के पौधे यहाँ वहाँ उग जाते है, इसके फूलों मे कोई सुगंध नहीं है, कोई सुंदरता भी नहीं, और तो और कोई भी इन्हें स्वीकार नहीं करता अतः इस तिरस्कृत अकवन के फूलों को हनुमान जी ने पसंद किया और उसे अपना प्रिय बनाया।

हनुमान जी को प्रिय कथा-

हनुमान जी को रामकथा बहुत प्रिय है, इसीलिए हम सब यह मानते हैं की जहाँ कहीं भी रामकथा का वाचन हो रहा हो वहाँ बजरंगबली स्व्यम उपस्थित रहते हैं और रामकथा सुनते हैं। इसीलिए यह भक्ति की पराकाष्ठा है की बजरंगबली जैसा भक्त कोई दूसरा नहीं है।

गुजरात के सौराष्ट्र मे आज भी हनुमान जी के मंदिर मे एक प्रथा है कि दीपावली के बाद कार्तिक कृष्णपक्ष अमावश्या के दिन हनुमान जी अयोध्या छोड़कर चले जाते हैं। इसीलिए गाँव के बाहर हनुमान जी को कार्तिक मास के अंतिम शनिवार को लोग भोजन करवाने जाते हैं क्योंकि फिर हनुमान जी वापस आते हैं ऐसी यहाँ की मान्यता है।

हनुमान जी को प्रिय ध्वज-

हनुमान जी को लाल या केशरिया ध्वज जिसपर राम लिखा हो बहुत प्रिय है। हनुमान जी के मंदिर अथवा पूजनस्थल पर तीन कोने वाले राम लिखित ध्वज अवश्य लगाया जाता है। इसके संदर्भ में ज्ञानियों का यह मत है कि बजरंगबली प्रभु श्रीराम के परम भक्त हैं और वे स्व्यम कि विजय नहीं अपितु प्रभु श्रीराम कि विजय पताका लहराते देख अति प्रसन्न होते हैं।

हनुमान जी को प्रिय लंगोट-

हनुमान जी बाल ब्रहमचारी थे अतः उन्हे ब्रह्मचारीयों के वस्त्र लाल लंगोट प्रिय हैं। बजरंगबली को लाल लंगोट चढ़ाना विद्यार्थियों के लिए फलदायी है।

हनुमान जी को प्रिय तुलसी-

एक पौराणिक कथा के अनुसार जब माता सीता वाल्मीकि ऋषि के आश्रम में थीं तब हनुमान जी उनसे मिलने पहुँचे थे। वहाँ पहुँचने पर उन्हे ज़ोर से भूख लगी तब माता सीता ने उनके लिए भोजन बनाया।

हनुमान जी ने सारा भोजन समाप्त कर दिया फिर भी उनकी भूख शांत नहीं हुई तब माता सीता ने उनकी पुड़ियों मे तुलसी का एक पत्ता रख दिया तुलसी पत्र खाते हीं हनुमान जी ने एक डकार ली और संतुष्ट हो गए। हनुमान जी तुलसी दल से तृप्त हो जाते हैं, इसीलिए हनुमान जी के प्रसाद मे तुलसी पत्र या गंगा जल में तुलसी का पत्र डालकर तुलसी दल अवश्य रखा जाता है।

हनुमान जी को तुलसी पत्र कि माला अर्पित करने से महावीर बजरंगबली प्रसन्न होते हैं।

हनुमान जी को प्रिय चोला-

हनुमान जी को सिन्दूर और चमेली का तेल पसंद होने कि वजह से उन्हे चोला चढ़ाया जाता है। चोला हमेशा मंगलवार एवं शनिवार को हीं चढ़ाया जाता है। चोला भक्त (चढ़ाने वाले) को स्वयं बनाना चाहिए।

हनुमान जी का चोला बनाने की विधि-

चोला बनाने एवं चढ़ाने कि विधि- चोला बनाने के लिए नारंगी कलर का पक्का सिन्दूर और चमेली के तेल को अच्छे से मिलाकर पेस्ट तैयार कर लें, उसके बाद यदि संभव हो तो हनुमान जी को गंगा जल नहीं तो शुद्ध जल से स्नान कराएं। फिर हल्का सा देशी घी लगाकर सिन्दूर का चोला चढ़ा दीजिये। चोला हमेशा ऊपर से नीचे तक चढ़ाएँ। चोले पर चाँदी और सोने का वर्क भी चढ़ाया जाता है।

चोला कभी भी 1 बार नहीं चढ़ाएँ इसे 5,11,21,51 या 101 बार चढ़ाएँ। मंगलवार को चोला चढ़ाने से हनुमान जी कि कृपा प्राप्त होती है एवं शनिवार को शनि कि साढ़े साती एवं अढ़ैया से संबन्धित कष्टों से मुक्ति मिलती है। ध्यान रखें चोला चढ़ाना महिलाओं के लिए वर्जित है।

हनुमान जी का प्रिय अस्त्र-

हनुमान जी को गदा बहुत प्रिय है। गदा बलवान योद्धाओं का प्रिय अस्त्र है।  हनुमान जी गदाधारी हैं। इसी गदा से उन्होने असुरों का संहार किया। अतः भक्त बजरंगबली को सोने या चाँदी के गदा भी चढ़ाते हैं।

श्री हनुमान जी अत्यधिक बलशाली, प्रतिभावान और हर असम्भव कार्य को पूर्ण करने वाले प्रतापी देवता होने के कारण जन-जन के लोकप्रिय देवता हैं। कोई गाँव, कोई गली ऐसी नहीं होगी जहाँ हनुमान जी का मंदिर स्थापित न हो। हनुमान जी की तांत्रिक उपासना अत्यंत कठिन है । वहीं संकटमोचन हनुमानाष्टक और हनुमान चालीसा का पाठ सर्वसिद्धिदायक कहा जाता है। हनुमान जी की यह उपासना पद्धति सरल एवं सर्वजन सुलभ है।

|| जय बजरंगबली ||

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