सूर्य देव के 12 नाम : जानें किस महीने में कौन से नाम से जाने जाते हैं भगवान सूर्य ?

सूर्य देव के 12 नाम क्या हैं ? किन कारणों से भगवान सूर्य के 12 नाम पड़े हैं ?

सूर्य देव के 12 नाम उनके 12 अलग-अलग तरह के आकार-प्रकार और 12 महीनों मे बदलते स्वरूप के अनुसार पुराणो मे वर्णित है। प्रत्येक नाम के साथ भगवान सूर्य का रूप और वर्ण बदलता रहता है।

हिन्दू कैलेंडर के 12 मास मे उन्हे 12 अलग-अलग नामों से संबोधित किया जाता है। उदाहरण स्वरूप इस श्लोक मे हीं देखिये की कैसे एक ही दिन में भगवान भास्कर तीन अलग-अलग रूपों मे परिवर्तित होते रहते हैं।

उदये ब्रह्मणो रूपं मध्याहे तु महेश्वरः। अस्तकाले स्वयं विष्णुस्वमूर्ति दिवाकरः॥

अर्थात :- उदय के समय वे ब्रह्मा के रूप हैं, दोपहर के समय वे महेश्वर हैं और सूर्यास्त के समय वे स्वयं विष्णु के रूप में सूर्य हैं।

ठीक उसी प्रकार से प्रत्येक हिन्दू माह मे भगवान सूर्य के तेज़ मे परिवर्तन होता रहता है। अतः अलग-अलग हिन्दू महीने मे भगवान सूर्य को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। भगवान सूर्य के प्रत्येक नाम के पीछे एक कारण छिपा हुआ है।

हम अपने पाठकों के लिए भगवान सूर्य देव के उन सभी 12 नामों के कारण और कथा को भी प्रकाशित कर रहे हैं। आप सूर्यदेव के जिस भी नाम से संबन्धित कथा पढ़ना चाहते हैं या उस नामकरण की वजह जानना चाहते हैं उस नाम पर क्लिक करके उस नाम से संबन्धित पूरी जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। 

सूर्यदेव के 12 नाम और उनकी महिमा।

रात की बहन, आकाश की बेटी, वरुण की बहन, स्वर्ग की बेटी-  उषा सुंदरी (सूर्योदय की बेला) एक युवती की तरह प्रकाशमान, नए-नए वस्त्रों में सजी, सभी प्राणियों को जगाती है। पशुओं को उनके काम पर भेजती है और पक्षियों को आकाश में उड़ने के लिए प्रेरित करती है।

वह अपने आराध्य भगवान सूर्य का मार्ग प्रशस्त करती है। ऋषिगण इसी समय अपनी मुक्ति का मार्ग खोजते हैं। एक ऋषि उपासना में प्रार्थना करते हैं कि ‘यदि आप हमें परमात्मा का दर्शन नहीं करा सकतीं तो भला दूसरा कौन करा सकता है?’

सूर्य देव के 12 नाम हिन्दू महीने के अनुसार बदल जाते हैं।

किस महीने मे भगवान सूर्य का क्या नाम होता है? इस टेबल मे भगवान सूर्य के प्रत्येक नाम के सामने उस हिन्दू महीने को भी दर्शाया गया है। किसी भी नाम के बारे मे विस्तृत जानकारी (श्लोक, महत्व, कथा एवं पूजन लाभ) हेतु उस नाम पर क्लिक करें।

क्रम 

सूर्य देव के 12 नाम

मास

1धाताचैत्र
2अर्यमावैशाख
3मित्रज्येष्ठ
4वरुणअसाढ़
5इन्द्रश्रावण (सावन)
6विवस्वान्भाद्रपद (भादो)
7पूषाआश्विन
8पर्जन्यकार्तिक
9अंशुमान्मार्गशीर्ष (अगहन)
10भगपौष (पूस)
11त्वष्टामाघ
12विष्णुफाल्गुन

सूर्य देव के 12 नाम, प्रत्येक मास में उनके बदलते स्वरूप और वर्ण को दर्शाता है।

लेख के प्रारम्भ में दिये हुए भगवान सूर्य के श्लोक का विस्तृत अनुवाद-

संसार की समस्त घटनाएँ सूर्यदेव की लीलाएँ हैं। प्रातःकाल सूर्यदेव अपनी कर्म-सृष्टि रचना की लीला से जगत्‌ को संजीवनी प्रदानकर प्रफुल्लित करते हैं। यह लीला कर्म-सृष्टि के सभी प्राणियों के लिए आवश्यक है।

सूर्यदेव की किरणें सभी प्राणियों को जीवन प्रदान करती हैं और उन्हें अपने कार्यों के लिए प्रेरित करती हैं।

मध्याह्न काल में सूर्यदेव अपने महेश्वर स्वरूप से तमोगुणी लीला करते हैं। यह लीला सृष्टि के सभी विकारों को नष्ट करने के लिए आवश्यक है। सूर्यदेव की प्रचण्ड रश्मियाँ सृष्टि के सभी विकारों को नष्ट करके उसे स्वस्थ और सुंदर बनाती हैं।

यह लीला भगवान् शिव की लीला के समान है। भगवान् सूर्य सृष्टि के सभी विकारों को नष्ट करके उसे पुनः शुद्ध करते हैं।

सांध्यकाल में सूर्यदेव का रूप अद्भुत होता है। यह रूप संसार के अंत का प्रतीक है। सूर्यदेव की किरणें धीरे-धीरे क्षीण होती जाती हैं और अंत में वे अस्त हो जाती हैं। यह संसार के अंत का संकेत है।

संध्या समय योगियों के लिए ब्रह्म-साक्षात्कार का अवसर होता है। यह समय मन को शांत और ध्यान में लीन करने के लिए उपयुक्त होता है। योगी इस समय सूर्यमण्डल का ध्यान करते हैं और ब्रह्म-साक्षात्कार प्राप्त करते हैं।

अतः भगवान सूर्य के 12 नाम की महिमा हो या पूरे दिन की बात हो वे अपने अलग-अलग स्वरूपों के अनुसार भक्तों का भला हीं करते हैं। सूर्य भगवान हमे बताते हैं की जीवन परिवर्तनशील है। जो अभी है वो कल नहीं रहेगा, रंग-रूप, आकार प्रकार और ऊर्जा सब बदल जाएगा।

इसीलिए भगवान सूर्य के 12 नामों से संबन्धित अलग-अलग लेख पढ़ने के  लिए बने रहिए।

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